भजन || दुःख में मत घबराना पंछी

गायक - गौरव कृष्ण गोस्वामी जी


दुःख़ में मत घबराना पंछी ये जग दुःख मेला है,
चाहे भीड़ बड़ी अम्बर पे उड़ना तुझे अकेला है।। -२


नन्हे कोमल पंख ये तेरे, और गगन की ये दुरी,
बैठ गया तो कैसे होगी, मन की अभिलाषा पूरी,
उसका नाम अमर है जग में जिसने संकट झेला है,
चाहे भीड़ बड़ी अम्बर पे उड़ना तुझे अकेला है।।

दुःख में मत घबराना पंछी ये जग दुःख का मेला है...


चतुर शिकारी ने रखा है, जाल बिछा कर पग-पग पर,
फस मत जाना भूल से पगले, पछताएगा जीवन भर,
मोह माया में तू मत पड़ना बड़ा समझ का खेला है,
चाहे भीड़ बड़ी अम्बर पे उड़ना तुझे अकेला है।।

दुःख में मत घबराना पंछी ये जग दुःख का मेला है...


जब तक सूरज आसमान में, बढ़ता चल तू बढ़ता चल,
घिर जायेगा अंधकार जब, बड़ा कठिन होगा पल-पल,
किसे पता कब उड़ जाने की आ जाती यह बेला है,
चाहे भीड़ बड़ी अम्बर पे उड़ना तुझे अकेला है।।

दुःख में मत घबराना पंछी ये जग दुःख का मेला है... -२ 

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