भजन || ऐसा कर दो श्रृंगार सब देखते रह जाए




सजने का हैं शौक़ीन, कोई कसर ना रह जाए,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाए।। - २ 

 जब कान्हा मुस्काए, शीशा भी चटक जाए,
चंदा भी दर्शन को, धरती पे उतर आए,
सूरज की किरणों से, दरबार चमक जाए,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाए।। 

क्या उसको सजाओगे, जो सबको सजाता हैं,
क्या उसको ख़िलाओगे, जो सबको खिलाता हैं,
बस भाव के सागर में, मेरा श्याम डूब जाए,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाए।। 

बस इतना ध्यान रखना, इतना ना ये सज जाए,
सारी सृष्टि की इसको, कहीं नज़र ना लग जाए,
ये दास सदा तेरे, भावो के भजन गाए,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाए।।

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